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क्या स्वयं प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? (भाग 2)

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इस लेख के शीर्षक पर आधारित श्रृंखला में यह दूसरा प्रकरण है| इस लेख में उन आँकड़ों पर चर्चा एवं व्याख्यान है जो पिछले एक साल में सामने आयें हैं| अगर आप पूछें, “चुनीलाल पिछले एक साल में क्या किया और शीर्षक में लिखे प्रश्न पर अब क्या कहना है?” तो उस की भी कथा है| पिछले दस महीनों में मैंने एक नया काम किया| मैंने अपनी पुस्तकों का प्रकाशन  Google   Play   Books  पर किया है |  अब मेरी पुस्तकें  Amazon  और  Google   Play   Books  पर भी उपलब्ध हैं|   पहले  Google   Play   Books  की कथा 28 मार्च, 2020 को मैंने अपनी पुस्तकें  Google   Play   Books  पर डालनी शुरू कीं| मेरे पास अपनी पुस्तकों का  manuscript  तो पहले से तैयार पड़ा था| वह पुस्तकें  Amazon  पर पहले से प्रकाशित थीं |  इस लिए, मुझे  Google   Play   Books  पर अपनी पुस्तकों का  Catalogue  बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा| इस में केवल एक बंदिश से निकलने में समय लगा| मेरी पहली लिखी हुई पुस्तकें  Amazon  पर पहले ही उपलब्ध थीं| मैंने सभी को  Kindle   Select   Programme  में डाल रखा था| उस से बहार निकलने में मुझे तीन महीने लग गए थे |  परन्तु 2020 के

यूटूब पर पुस्तक पर प्रदर्शन का मेरा पहला संस्करण

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मैंने अपने यूट्यूब चैनल पर अपनी एक पुस्तक पर वीडियो बनाकर डाली है। पुस्तक पर वीडियो बनाकर डालने का यह मेरा पहला यत्न है |   मैंने अपनी किताब “हिंदी में लिखी पुस्तक का स्वयं प्रकाशन करने की सुनहरी किताब” पर   वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डाली   है |   इस प्रकार का कार्य अपनी पुस्तक का प्रचार करने के लिए किया जाता हैं। इसी भावना से मैंने इसका यूट्यूब पर प्रसारण किया है।      मैंने स्वयं प्रकाशन पर सुनहरी   किताब 16 जनवरी 2019 को प्रकाशित की थी। इस प्रकार इस पुस्तक को प्रकाशित हुए लगभग 18 महीने हो चले है।     मुफ्त वितरण के समय ऐमेज़ॉन से इसकी 37 प्रतियां उतारी गई थी | उसके बाद इसकी 10 प्रतियां पाठकों ने खुद खरीदी थी। जब मैंने इस पुस्तक की कीमत ₹178 कर दी तब से इसकी बिक्री लगभग बंद हो गई है। परंतु किंडल सिलेक्ट योजना के अधीन इस पुस्तक का वाचन लगभग हर महीने होता रहता है। इसके अलावा मैंने 10 प्रतियां मुफ्त में अपनी कुछ जानकारों को भी बांटी है।     मुझे अभी भी विश्वास है कि इस पुस्तक की जरूरत उन पाठकों को है जो अपने manuscript को छापना चाहते हैं |  इसलिए मैंने इस पुस्तक का