क्या स्वयं प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? (भाग 2)

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इस लेख के शीर्षक पर आधारित श्रृंखला में यह दूसरा प्रकरण है| इस लेख में उन आँकड़ों पर चर्चा एवं व्याख्यान है जो पिछले एक साल में सामने आयें हैं| अगर आप पूछें, “चुनीलाल पिछले एक साल में क्या किया और शीर्षक में लिखे प्रश्न पर अब क्या कहना है?” तो उस की भी कथा है| पिछले दस महीनों में मैंने एक नया काम किया| मैंने अपनी पुस्तकों का प्रकाशन  Google   Play   Books  पर किया है |  अब मेरी पुस्तकें  Amazon  और  Google   Play   Books  पर भी उपलब्ध हैं|   पहले  Google   Play   Books  की कथा 28 मार्च, 2020 को मैंने अपनी पुस्तकें  Google   Play   Books  पर डालनी शुरू कीं| मेरे पास अपनी पुस्तकों का  manuscript  तो पहले से तैयार पड़ा था| वह पुस्तकें  Amazon  पर पहले से प्रकाशित थीं |  इस लिए, मुझे  Google   Play   Books  पर अपनी पुस्तकों का  Catalogue  बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा| इस में केवल एक बंदिश से निकलने में समय लगा| मेरी पहली लिखी हुई पुस्तकें  Amazon  पर पहले ही उपलब्ध थीं| मैंने सभी को  Kindle   Select   Programme  में डाल रखा था| उस से बहार निकलने में मुझे तीन महीने लग गए थे |  परन्तु 2020 के

मेरी पहली e-Book और उस के अवतरित होने की कहानी

मेरी पहली e-Book और उस के अवतरित होने की कहानी


मेरी पहली e-book का टाइटल है एक कहानी और कुछ कवितायें है

Kindle e-books के बारे में मुझे 2007 में पता चला था| उस समय internet से जितनी भी जानकारी प्राप्त हुई उस के अनुसार यह एक करिश्मा ही लगता था जो अमेरिका में घट रहा था| परन्तु मन को एक तसल्ली थी| उसी समय के लगभग Google Print की जगह Google Books ने ले ली थी| वहां से PDF format में पुस्तकें उतारने का ढंग पता चल गया था| वह पुस्तकें मेरी पिपासा को संतुष्ट करती रहीं

Amazon ने 2012 में भारत में प्रवेश किया| 2014 में मैं इस पर ग्राहक बना था| इस की वेबसाइट पर Become an Author link बना रहता है| उस की तरफ मेरा ध्यान जाना स्वाभाविक था| उस के बाद उस link का अन्वेषण करते-करते 2016 के लगभग मुझे ePublishing की काफी जानकारी हो गई| इस समय में Kindle App को भी उतार लिया था| Kindle App पर कुछ पुस्तकें खरीदनी भी शुरू कर दीं| इस से मुझे कुछ ऐसे लेखकों को भी पढ़ने का अवसर मिला जो मेरे लिए नए थे| मुझे उन पुस्तकों को भी प्राप्त करने का संयोग हुया जिन को मैं पढ़ना चाहता था| इन सब पुस्तकों की कीमत paperback से कम थी| दूसरा, eBook के रूप में पुस्तकों के पढ़ने से मेरा वाचन बहुत तेजी से बढ़ गया| इस के फलस्वरूप मैंने एक नया ब्लॉग भी लिखना शुरू कर दिया जिसे मैंने Thus I Read a Book का शीर्षक दे रखा है| यह ब्लॉग जल्द ही प्रचलित भी हो गया|

अब मुझ में ePublishing की इच्छा और बढ़ गई थी| Kindle eBook पर वाचन करने से कई भ्रांतियों का अंत भी हुया था| इस ही समय में एक और परिवर्तन भी हुया| Jio का लांच हुया और उस पर Internet Browsing मुफ्त थी| इस से बड़ी बात यह थी की उस पर 4G की speed बहुत ही आश्चर्यजनक और आकर्षित थी| Internet ब्राउज़िंग का एक नवेला अनुभव था| इस से internet पर नई sites को देखना और पढ़ना काफी तेज हो गया था| यहां बड़े अफ़सोस से इस बात को चितारने की ज़रूरत पड़ रही है की Jio में अब वो बात नहीं रही है|

खैर, मैं वापिस विषय पर आता हूँ| Jio 4G की तेज गती का एक नतीजा यह निकला कि किसी भी डाउनलोड करने वाली file पर समय कम लगता था| इस के साथ ही internet पर रहते हुए एक ही वेबसाइट पर मिलने वाले विभिन्न pages का अन्वेषण सम्भव हो पाता था| इस कारण मुझे Kindle Direct Publishing पर प्रकाशन के लिए दिए गए निर्देशों और युक्तियों को समझने का अवसर दिया और वहां से प्रकाशन करने के तरीके को सीखने का अवसर दिया| अगर मुझे सही याद आता है तो अगस्त 2016 में Kindle Direct Publishing ने घोषणा की के वे हिंदी और भारत के चार अन्य भाषायों में प्रकाशन करने की व्यवस्था करते हैं| यह एक बहुत ही उत्साहवर्धक सम्भावना थी| KDP ने इस सम्भावना को कार्यान्वित करने के लिए एक अलग से software को अंकित किया था| उस software को Kindle Textbook Create कहा गया था| उस के निर्देशों में यह स्पष्ट रूप में विदित था कि अपने हिंदी में लिखी पुस्तक के manuscript को पीडीऍफ़ में बदल कर Kindle Textbook Create को सौंप देना है और फिर उस software पर दिखने वाले पुस्तक के manuscript को पुस्तक के रूप में format कर लेना है| इसी के साथ ही Kindle Direct Publishing site पर ही पुस्तक के रूप में formatting की एक पुस्तक रुपी निर्देश ग्रन्थ भी दिया गया था| उन दोनों के विषय वस्तु के अनुरूप एक हिंदी में लिखे manuscript पर उन निर्देशों का उपयोग कर के देखने की जरूर थी| परन्तु मेरे पास ऐसा कोई manuscript उपलब्ध नहीं था|

कहानी को आगे बताने से पहले यह बताना सामयिक है कि जिस book formatting और Textbook Create की बातें ऊपर की गई हैं अब वह समाप्त कर दिए गए हैं| Textbook Create को Kindle Create का भाग बना दिया गया है और book formatting के निर्देशों को Kindle Direct Publishing में अलग से एक link में प्रसारित कर दिया गया है|

वाचन और लेखन को मैं एक दुसरे का पूरक मानता हूँ| दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, ऐसा मेरा मानना है| पढ़ने और लिखने की प्रवृति और प्रकृति मेरे स्कूल टाइम से ही मुझ में प्रफुलित हो चुकी थी| मैं पहले कविता भी करता रहा हूँ| जब internet पर ब्लोग्गिं के माध्यम से हिंदी लिखने के विकल्प विकसित हुए तो मैंने उन्हीं कवितायों को अपने ब्लॉग पर प्रदर्शित किया था| इस सारे प्रकरण को मैंने अपनी पहली पुस्तक की भूमिका बनाया है जो कि इस पुस्तक में विस्तार से लिखा हुया है| जब मुझे हिंदी में पुस्तक का ebook के मुद्रण की विधि  का प्रियोग करने की बात आई तो मैंने अपने ब्लॉग पर लिख रखी कवितायों को संग्रहित कर के एक manuscript कुछ ही दिनों में संकलित कर लिया| उसी समय काल में एक और तकनीकी उन्नति का रूप मेरे हाथ लगा| मैं जायदा लेखन अंग्रजी में करता हूँ| मेरी अंग्रेज़ी में टाइपिंग स्पीड भी किसी भी दक्ष टाइपिस्ट के बराबर की ही है| मैं हिंदी में भी लिखता रहता हूँ परन्तु हिंदी में जयादा तेजी से टाइपिंग नहीं कर पता हूँ| परन्तु अनमोल और अमर fonts आने के बाद हिंदी में भी टाइपिंग करना सुगम हो गया है| इस से मैंने पुस्तक के अन्य भागों का भी लेखन कर के Kindle Textbook Create पर प्रियोग किया| वहां से जो file बनी उसे जब Kindle Direct Publishing की site पर उन्मोदित प्रकरण पर डाला तो manuscript स्वकृत हो गया| इस प्रकार मैं eBook का लेखक बन गया|

यह पुस्तक मूल रूप से एक experiment ही था| मुझे कुछ समझ आया और मैं उस की उपयोगिता देखने निकला था| पुस्तक का manuscript तैयार करते समय मैंने Cut और Paste तथा assemble और pack करने की विधि को अपनाया| पुस्तक मैं बहुत सी त्रुटिया हैं| परन्तु मैंने इस पुस्तक को अपने कैटेलॉग में बनाए रखा है| समय मिलते ही मैं इस पुस्तक की अशुधियां दूर करूंगा| परन्तु इस पुस्तक को जन्म देने में जो मैंने सीखा वह अनुभव मेरी एक अन्य पुस्तक, “हिंदी में लिखी पुस्तक को स्वयं प्रकाशित करने की सुनहरी किताब: A Golden Kit for Self-Publish a Book Written in Hindi का आधार बनी|

इस कहानी से आम पाठकों को कुछ सन्देश मिल सकते हैं| पहला यह कि पुस्तक प्रकाशन आप के लेखन को प्रकाशित करने में कोई रूकावट नहीं मानी जानी चाहिए| परंपरागत यां Vanilla प्रकाशन को कम करने की बात नहीं है| आप स्थापित प्रकाशकों के अस्तित्व को कम नहीं आँक सकते है| उन का अपना एक महत्व है और वह बना रहेगा| परन्तु अब एक नए लेखक को इस बात से हताहत होने की जरूरत नहीं कि उस की पुस्तक को कोई प्रकाशक नहीं मिल रहा है|

दूसरा आप के पास अपना एक manuscript होना चाहिए| अगर आप लिखने की अभिलाषा रखते हो तो अपना manuscript जल्द ही तैयार करो| प्रकाशन अब कोई समस्या नहीं है|

एक सन्देश मैं हिंदी प्रेमियों को अलग से देना चाहता हूँ| हिंदी के प्रसार और विस्तार के लिए जो प्रयत्न किए जा रहे हैं वह सभी अपनी जगह ठीक हैं| इस के साथ ही हिंदी में ज्यादा लेखन और प्रकाशन भी बड़ना चाहिए| इस के लिए digital लेखन में भी हिंदी में लेखन बड़ना चाहिए| मेरी पुस्तक “हिंदी में लिखी पुस्तक को स्वयं प्रकाशित करने की सुनहरी किताब: A Golden Kit for Self-Publish a Book Written in Hindi इसी भावना से लिखी गई है|


आप से अनुरोध है कि इस आलेख पर टिप्पणी Comment Section में करने के लिए समय निकालें|

धन्यवाद

सुमीर

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