क्या स्वयं प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? (भाग 2)

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इस लेख के शीर्षक पर आधारित श्रृंखला में यह दूसरा प्रकरण है| इस लेख में उन आँकड़ों पर चर्चा एवं व्याख्यान है जो पिछले एक साल में सामने आयें हैं| अगर आप पूछें, “चुनीलाल पिछले एक साल में क्या किया और शीर्षक में लिखे प्रश्न पर अब क्या कहना है?” तो उस की भी कथा है| पिछले दस महीनों में मैंने एक नया काम किया| मैंने अपनी पुस्तकों का प्रकाशन  Google   Play   Books  पर किया है |  अब मेरी पुस्तकें  Amazon  और  Google   Play   Books  पर भी उपलब्ध हैं|   पहले  Google   Play   Books  की कथा 28 मार्च, 2020 को मैंने अपनी पुस्तकें  Google   Play   Books  पर डालनी शुरू कीं| मेरे पास अपनी पुस्तकों का  manuscript  तो पहले से तैयार पड़ा था| वह पुस्तकें  Amazon  पर पहले से प्रकाशित थीं |  इस लिए, मुझे  Google   Play   Books  पर अपनी पुस्तकों का  Catalogue  बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा| इस में केवल एक बंदिश से निकलने में समय लगा| मेरी पहली लिखी हुई पुस्तकें  Amazon  पर पहले ही उपलब्ध थीं| मैंने सभी को  Kindle   Select   Programme  में डाल रखा था| उस से बहार निकलने में मुझे तीन महीने लग गए थे |  परन्तु 2020 के

एक manuscript के बहु-संकलन प्रकाशित करने का औचित्य


नवीन शिक्षा पश्चिमी दर्शन और साहित्य से प्रभावित है| उस में दिए गये विषय पश्चिमी साहित्य में उपलब्ध रहते हैं| हिंदी भाषी विद्यार्थी गूढ़ और अव्यक्त सिधान्तों को विदेशी भाषा में समझने से चूक जाते हैं| एक विशेष स्तर पर उन्हें अंग्रेज़ी में व्यक्त भावों को उसी भाषा में ही निपटना पड़ता है जहाँ वह खुद को ठगा सा पाते हैं| अगर एक ही बात उन्हें अंग्रेज़ी और हिंदी में पढ़ने को मिल जाय तो वह विश्वास से हर प्रश्न को निपटते हैं|  


इस प्रकार के प्रकाशन का औचित्य ऊपर पहले से ही आलेखित किया है| यह सर्वमान्य है कि आप को किसी भी विषय पर अंग्रेज़ी भाषा में लिखित पुस्तक मिल जाएगी| आप किसी भी विश्वविद्यालय के किसी भी विषय के विद्यार्थी बनें, आप को वहां के पुस्तकालय में आप के विषय से संबधित अच्छी गिनती में अंग्रेज़ी में लिखी पुस्तकें उपलब्ध होंगी| वहीं अगर आप का माध्यम हिंदी है तो आप को हिंदी भाषा में कम पुस्तकें मिलेंगी| अगर आप एक कर्मठ छात्र हैं तो आप अंग्रेज़ी की पुस्तकों का अनुवाद करते हुए अपना काम चलाने की कोशिश कर सकते हैं परन्तु फिर भी आप के अध्ययन में एक कमी रह जाती है| दूसरा, आप को किसी स्तर पर अपने विषय को अंग्रेज़ी में निपटना जा जूझना पड़ सकता है| अगर आप को कोई ऐसा ग्रन्थ मिल जाए जिस में अंग्रेज़ी के समांतर ही हिंदी में आलेख मिल जाए तो आप अपनी तार्किक और लेखन क्षमता से उस विषय पर पकड़ बना सकते हैं| इस पुस्तक को इसी विचार से संकलित किया गया है|


इस विचार के कई बौद्धिक आयामों को ध्यान में रखते हुए हमने एक और प्रयोग भी किया है| हमने ऊपर दिए विचार के अनुरूप ही द्विभाषी पुस्तक संकलन किया है| इस पुस्तक का शीर्षक है “A Hybrid Volume of Essays on Modern India Historiography”| इस का ASIN B081T5YC7P है| इस पुस्तक के निर्माण में भी वही सोच और तर्क है जिस के आधार पर हमने ‘A Combo Volume on The Essays on Historiography of Modern India” का निर्माण किया है|


दोनों पुस्तकों में "Essays on Modern India Historiography" और आधुनिक भारत हिस्टोरियोग्राफी पर निबंध संग्रह” के आलेखों को संग्रहित किया है|


इस प्रकार से एक ही विषय वस्तु की चार आवरण बनाए गए है| हर रूप अलग प्रकार की जरूरत को पूरा करता है ऐसा हमारा मानना है|



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