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Showing posts from January, 2020

क्या स्वयं प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? (भाग 2)

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इस लेख के शीर्षक पर आधारित श्रृंखला में यह दूसरा प्रकरण है| इस लेख में उन आँकड़ों पर चर्चा एवं व्याख्यान है जो पिछले एक साल में सामने आयें हैं| अगर आप पूछें, “चुनीलाल पिछले एक साल में क्या किया और शीर्षक में लिखे प्रश्न पर अब क्या कहना है?” तो उस की भी कथा है| पिछले दस महीनों में मैंने एक नया काम किया| मैंने अपनी पुस्तकों का प्रकाशन  Google   Play   Books  पर किया है |  अब मेरी पुस्तकें  Amazon  और  Google   Play   Books  पर भी उपलब्ध हैं|   पहले  Google   Play   Books  की कथा 28 मार्च, 2020 को मैंने अपनी पुस्तकें  Google   Play   Books  पर डालनी शुरू कीं| मेरे पास अपनी पुस्तकों का  manuscript  तो पहले से तैयार पड़ा था| वह पुस्तकें  Amazon  पर पहले से प्रकाशित थीं |  इस लिए, मुझे  Google   Play   Books  पर अपनी पुस्तकों का  Catalogue  बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा| इस में केवल एक बंदिश से निकलने में समय लगा| मेरी पहली लिखी हुई पुस्तकें...

सफल स्वयं-प्रकाशन पर पेशेवर के विचार

मैंने अपने पिछले आलेख से सफल स्वयं-प्रकाशन कीसम्भावना पर एक श्रृंखला शुरू करी है| स्वयं-प्रकाशन दो रूपों में किया जा रहा है| स्वयं-प्रकाशन paperback और eBook के माध्यम से प्रचलित है| मेरी चर्चा मुख्य रूप में eBook के रूप पर है| मैंने अभी तक Kindle Direct Publishing ( KDP ) को ही माध्यम बनाया है| Kindle को Amazon चलाती है| Kindle के अलावा अमेरिका में कुछ और भी मुद्रण करने वाली कंपनियाँ हैं| उन में से Google Books , Smashwords , D 2 D और IngramSparks बहुत प्रचलित हैं| ऑस्ट्रेलिया से जारी होने वाली एक Web मैगजीन में IngramSparks के एक प्रबंधकसदस्य Regan Kannamer का एक लेख छपा है| Regan ने स्वयं-प्रकाशकन लेखकों पर एक सर्वेक्षण पर अपनी विवेचना लिखी है| Regan इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि स्वयं-प्रकाश लेखों की आमदनी में वृद्धि हो रही है| मेरे पिछले लेख में भी इसी प्रकार का विषय लिया गया है | मैंने अपने अनुभव एवं सर्वेक्षण के आधार पर अपनी बात कही थी| मेरे और Regan के निष्कर्ष कुछ मिलते जुलते हैं| मेरे कार्य करने का ढंग अपना है और Regan ने वैज्ञानिक विधियो...

क्या स्वयं-प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? (भाग 1)

क्या स्वयं-प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? यह प्रश्न केवल भारत में ही नहीं पुछा जाता है बल्कि पश्चिमी देशों में भी उतनी ही तीव्रता से उठाया जाता है| मेरा विचार है की स्वयं-प्रकाशन पश्चिमी देशों में ज्यादा प्रचलित है| ऐसा नहीं कि भारत में इस सम्बन्ध में कोई रुचि या चेतना नहीं है| जहाँ तक मेरी जानकारी है अमिश त्रिपाठी और सावी शर्मा ने अपना लेखन का सफ़र स्वयं-प्रकाशन से किया था| उनकी लोकप्रियता के बाद ही स्थापित प्रकाशकों ने उन्हें अनुबंधित किया था| आंकड़ों   पर   आधारित   अगर   बात   करनी   हो   तो  2017  में   Jeff   Bezos   ने   अपने   shareholders   को   यह   अधिकारिक   सूचना   दी   थी   कि   उस   वर्ष   उस   की   कम्पनी   ने  1000  से   ज्यादा   प्रति   लेखकों   को   एक   लाख   डॉलर्स   के   लगभग   रायल्टी   का   भुगतान   किया   था |  उसी   वर्ष ...