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Showing posts from December, 2019

क्या स्वयं प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? (भाग 2)

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इस लेख के शीर्षक पर आधारित श्रृंखला में यह दूसरा प्रकरण है| इस लेख में उन आँकड़ों पर चर्चा एवं व्याख्यान है जो पिछले एक साल में सामने आयें हैं| अगर आप पूछें, “चुनीलाल पिछले एक साल में क्या किया और शीर्षक में लिखे प्रश्न पर अब क्या कहना है?” तो उस की भी कथा है| पिछले दस महीनों में मैंने एक नया काम किया| मैंने अपनी पुस्तकों का प्रकाशन  Google   Play   Books  पर किया है |  अब मेरी पुस्तकें  Amazon  और  Google   Play   Books  पर भी उपलब्ध हैं|   पहले  Google   Play   Books  की कथा 28 मार्च, 2020 को मैंने अपनी पुस्तकें  Google   Play   Books  पर डालनी शुरू कीं| मेरे पास अपनी पुस्तकों का  manuscript  तो पहले से तैयार पड़ा था| वह पुस्तकें  Amazon  पर पहले से प्रकाशित थीं |  इस लिए, मुझे  Google   Play   Books  पर अपनी पुस्तकों का  Catalogue  बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा| इस में केवल एक बंदिश से निकलने में समय लगा| मेरी पहली लिखी हुई पुस्तकें...

Break Away from Narratives and Discourses

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It is the narratives and discourses, which makes the actual profile of your life, your mind and your ambitions. You are never in the command. It is the discourse which you listen which directs your life. It is the narratives by others that makes contents of your talks. You do not realise that you do not understand, believe and accept, but you call all that you say as yours own. The narrative is formed by someone else, and you become the sounding board of that narrative.  You are merely a body, a living entity, which is breathing. You have some intrinsic programmes already built into your system. You are breathing and living, and those programmes work their fixed course. The two dominant p are food and sex. You are a bundle of biochemical and neuro-snaps. The life activity is induced into you through breathing, the intrinsic programme workout their pre-fixed course. You cap it with a narrative which is given to you by a discourse while you are learning about yourself a...

एक manuscript के बहु-संकलन प्रकाशित करने का औचित्य

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नवीन शिक्षा पश्चिमी दर्शन और साहित्य से प्रभावित है | उस में दिए गये विषय पश्चिमी साहित्य में उपलब्ध रहते हैं | हिंदी भाषी विद्यार्थी गूढ़ और अव्यक्त सिधान्तों को विदेशी भाषा में समझने से चूक जाते हैं | एक विशेष स्तर पर उन्हें अंग्रेज़ी में व्यक्त भावों को उसी भाषा में ही निपटना पड़ता है जहाँ वह खुद को ठगा सा पाते हैं | अगर एक ही बात उन्हें अंग्रेज़ी और हिंदी में पढ़ने को मिल जाय तो वह विश्वास से हर प्रश्न को निपटते हैं |   इस प्रकार के प्रकाशन का औचित्य ऊपर पहले से ही आलेखित किया है | यह सर्वमान्य है कि आप को किसी भी विषय पर अंग्रेज़ी भाषा में लिखित पुस्तक मिल जाएगी| आप किसी भी विश्वविद्यालय के किसी भी विषय के विद्यार्थी बनें, आप को वहां के पुस्तकालय में आप के विषय से संबधित अच्छी गिनती में अंग्रेज़ी में लिखी पुस्तकें उपलब्ध होंगी| वहीं अगर आप का माध्यम हिंदी है तो आप को हिंदी भाषा में कम पुस्तकें मिलेंगी| अगर आप एक कर्मठ छात्र हैं तो आप अंग्रेज़ी की पुस्तकों का अनुवाद करते हुए अपना काम चलाने की कोशिश कर सकते हैं परन्तु फिर भी आप के अध्ययन में एक कमी रह जाती है| दूसरा, आप क...

One Manuscript and Four Versions

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नवीन शिक्षा पश्चिमी दर्शन और साहित्य से प्रभावित है| उस में दिए गये विषय पश्चिमी साहित्य में उपलब्ध रहते हैं| हिंदी भाषी विद्यार्थी गूढ़ और अव्यक्त सिधान्तों को विदेशी भाषा में समझने से चूक जाते हैं| एक विशेष स्तर पर उन्हें अंग्रेज़ी में व्यक्त भावों को उसी भाषा में ही निपटना पड़ता है जहाँ वह खुद को ठगा सा पाते हैं| अगर एक ही बात उन्हें अंग्रेज़ी और हिंदी में पढ़ने को मिल जाय तो वह विश्वास से हर प्रश्न को निपटते हैं| यहाँ इस पुस्तक में दो पुस्तकों का संकलन किया गया है| एक पुस्तक का शीर्षक है “आधुनिक भारत हिस्टोरियोग्राफी पर निबंध संग्रह”| इस पुस्तक का ASIN B081CZBCZR है| दूसरी पुस्तक का शीर्षक है “Essays on Modern India Historiography”| इस पुस्तक का ASIN B07WD4T2K3 है| दोनों पुस्तकों की विषय सामग्री एक ही है| इन में केवल भाषा का अंतर है| इस संकलन को ऊपर बताई धारना के अनुरूप किया गया है| ऐसा भारतीय छात्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया है| इस पुस्तक में अध्यायों का निर्माण निम्नलिखित क्रम में किया गया है| संदर्भ और प्रस्तावना अध्याय 1: अध्याय 2: अध्याय 3: अध्याय ...